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शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

लछमी दाई ए दारी कम से कम खच्चित आबे

लछमी दाई ए दारी कम से कम खच्चित  आबे
 हे  लछमी दाई, तोर महिमा ला सबो झन जानथे. आदमी  अपन अपन कूबत के अनुसार तोर पूजा अर्चना ला करथें. बस इही बिनती हे माँ के काखरो बर रिसाबे झन. ओइसे त पूरा भरोसा हे, चाहे गरीब के कुंदरा होय चाहे रईस के बँगला; जम्मो जघा गे होबे. दाई!  भूले भटके काखरो घर छूटिच गे होही त ए दारी कम से कम खच्चित  आबे. पूरा संसार मा जउन आज दिखत हे, खासकर तोर भक्तन  के देस भारत मा, जैसे - मार- काट, कोन पराया ये कोन अपन, तेखर चिन्हारी नई ये, कब टोंटा ल रेत के रेंग दिही भरोसा नई ये, मंहगाई अलग ये सब कराये बर उकसाथे, भ्रष्टाचार हा त आदमी के रग रग मा समा गे हे, तउन  ल दाई तंही भगा सकत हस. काली भाई दूज आय. जम्मो संगवारी ला,  अपन अपन बहिनी के हाथ ले टीका लगवा के ओ मन ला, अपन  परेम के रूप मा,  उंखर सुख दुःख मा काम आये के  वचन देवत  बने उपहार दे के तिहार, 
भाई दूज के अब्बड़ अकन बधाई....
जय जोहार......
 खच्चित आबे = जरूर आना, कुंदरा = झोपड़ी, काखरो घर छूट  गे होही = किसी का घर छूट गया हो तो, ए दारी = अबकी बार, चिन्हारी = पहचान, टोंटा ल रेत के रेंग दिही = गला काट कर भग जाएगा

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

अन्न-कूट गोवर्धन पूजा की हार्दिक बधाई


            अन्न-कूट गोवर्धन पूजा
 
                    कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। इस दिन बलि पूजा, अन्न कूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी सम्पन्न होते है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। गाय बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है।
                     गायों का मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा करते है तथा परिक्रमा करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान के निमित्त भोग व नैवेद्य में नित्य के नियमित पदार्थों के अतिरिक्त यथासामर्थ्य अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल, फूल; अनेक प्रकार के पदार्थ जिन्हें "छप्पन भोग" कहते हैं,. ‘छप्पन भोग’ बनाकर भगवान को अर्पण करने का विधान भागवत में बताया गया है.  फिर सभी सामग्री अपने परिवार, मित्रों को वितरण कर के प्रसाद ग्रहण किया जाता है ।                                                                                                              
                     इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा को बंद करा कर इस के स्थान पर गोवर्धन की पूजा को प्रारंभ किया था और दूसरी ओर स्वयं गोवर्धनं रूप धर कर पूजा ग्रहण की इससे कुपित होकर इंददेव ने मूसलाधार जल बरसाया और श्री कुष्ण जी ने गोप और गोपियों को बचाने के लिए अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र का मानमर्दन किया था.सब ब्रजवासी सात दिन तक गोवर्धन पर्वत की शरण मे रहें।
                    सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की बूँद भी नही पड़ी। ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्री कृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे तुम्हारा वैर लेना उचित नही है। श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपनी मुर्खता पर बहुत लज्जित हुए तथा भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की।  श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियो से आज्ञा दी कि अब से प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व उल्लास के साथ मनाओ। उनके स्मरण में  गोवर्धन और गौ पूजन का विधान है।
                     यूं तो आज गोवर्धन ब्रज की छोटी पहाड़ी है, किन्तु इसे गिरिराज (अर्थात पर्वतों का राजा) कहा जाता है। इसे यह महत्व या ऐसी संज्ञा इस लिये प्राप्त है क्यूंकि यह भगवान कृष्ण के समय का एक मात्र स्थाई व स्थिर अवशेष है। उस समय की यमुना नदी जहाँ समय-समय पर अपनी धारा बदलती रही है, वहां गोवर्धन अपने मूल स्थान पर ही अविचलित रुप में विद्यमान  है। इसे भगवान कृष्ण का स्वरुप और उनका प्रतीक  भी माना जाता है और इसी रुप में इसकी पूजा भी की जाती है।
                      बल्लभ सम्प्रदाय के उपास्य देव श्रीनाथ जी का प्राकट्य स्थल होने के कारण इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। गर्ग संहिता में इसके महत्व का कथन करते हुए कहा गया है - गोवर्धन पर्वतों का राजा और हरि का प्यारा है। इसके समान पृथ्वी और स्वर्ग में कोई दूसरा तीर्थ नहीं है। यद्यपि वर्तमान काल में इसका आकार-प्रकार और प्राकृतिक सौंदर्य पूर्व की अपेक्षा क्षीण हो गया है, फिर भी इसका महत्व कदापि कम नहीं हुआ है।
                    इस दिन स्नान से पूर्व तेलाभ्यंग अवश्य करना चहिये। इससे आयु, आरोग्य की प्राप्ति होती है और दुःख दारिद्र्य का नाश होता है। इस दिन जो शुद्ध भाव से भग्वत चरण में सादर समर्पित, संतुष्ट, प्रसन्न रहता है वह वर्ष पर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है।
                        यदि आज के दिन कोई दुखी है तो वर्ष भर दुखी रहेगा इसलिए मनुष्य को इस दिन प्रसन्न होकर इस उत्सव को सम्पूर्ण भाव से मनाना चाहिए।                                                                                                                अन्न-कूट गोवर्धन पूजा की 
सबको देता हूं बहुत  बधाई 
अन्ना-कूट इहाँ (देश में) हो रह्यो,
कर अर्पण छप्पन भोग प्रभू को 
करियो पूजा मन-मोहन (कृष्ण) की भाई 
जय जोहार.......
  

बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

दीपोत्सव देवारी के गाड़ा गाड़ा बधाई



ॐ श्री गणेशाय नमः 
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी 
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे 
 घर घर माँ जलै  देवारी के दिया  
महल भवन हो या गरीब के  कुटिया
हाथ जोड़ बिनती लक्ष्मी-नारायण के  करथन
     दीन हीन हम सब मनखे मन
ईमान के रद्दा ले कभू झन भटकन
 झन  मद-मत्सर के जंजीर माँ  जकड़न
लक्ष्मी दाई के किरपा ले भागे भ्रष्टाचार, मंहगाई
आतिश बाजी के  आनंद लेवौ,  खावौ खूब मिठाई
दीपोत्सव देवारी  के गाड़ा गाड़ा बधाई  
जय जोहार.....

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

खूब नहायें लगा उबटन, नीरोगी रखें अपनी काया

खूब नहायें लगा उबटन, नीरोगी रखें अपनी काया          
माँ लक्ष्मी सदा सहाय रहें, न  उठे सर से प्रभु का साया

आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरक चतुर्दशीके नामसे जानते हैं । दीपावलीके दिनोंमें अभ्यंगस्नान करनेसे व्यक्तिको अन्य दिनोंकी तुलनामें ६ प्रतिशत सात्त्विकताका अधिक लाभ मिलता है ।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) की हार्दिक शुभकामनाएं 
जय जोहार....

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

दीपोत्सव का पर्व दिवाली रौशन घर घर करे दिया



दीपोत्सव का पर्व दिवाली 
रौशन घर  घर करे दिया 
परब आगमन के पहले ही
प्रभू  तूने कैसा  सिला दिया
जगदलपुर नक्सली कहर
(छत्तीसगढ़ अनेक जवान शहीद )
कहीं मावे में हो  मिला जहर
 (उत्तर प्रदेश शायद बारह बच्चों की मौत )
ढहा सेतु गिरी यात्री गाड़ी, क्या कुपित हुई माँ काली  
 (गुजरात पुल ढहने से २२ की मौत )
बिलासपुर का रेल हादसा बलि कितनो की दे डाली
जारी है तेरी  विनाश-लीला, हुई कंपित माँ धरती  
सहस्त्रों जान गँवा चुके, देश का नाम है तुर्की 
विनती है प्रभु आपसे, लगे अनहोनी पे विराम
दुखियारों को सहन शक्ति दे, पुकारे आम अवाम 
पञ्च दिवसीय दीपोत्सव का हुआ आज प्रारम्भ 
कर भगवान् धन्वन्तरी की पूजा  काज करें आरम्भ
सभी मित्रों को दीपोत्सव के प्रथम दिवस "धनतेरस" एवं भगवान् धन्वन्तरी जयंती के उपलक्ष में हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 
जय   जोहार .......

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं 
ड्यूटी से घर आते ही 
हम अख़बार पे नज़र दौड़ाये
अटकी नज़र  हेडिंग पर;
"मासूम जिंदगी पर छाये 
दशानन के  साये"
आज के बच्चों  के
दस अवगुण मात- पिता को बताये
न केवल बताये, उन्हें जिम्मेदार ठहराए 
पहला शिष्टाचार न आना 
दूजा अपनी  माँग मनवाना 
तीसरे में अनुशासन हीनता 
चौथे में गायब नैतिकता 
पंचम संस्कारों की सीख न देना 
टूटा परिवार तो फिर न कहना 
षष्टम में अड़ियल रवैया 
करवावे सबको ता ता थैया 
हदों  का उल्लंघन है  सप्तम 
  उपकरणों पर निर्भरता  अष्टम  
(केलकुलेटर, मोबाइल, कंप्यूटर, टी वी,
वीडियो गेम पर आश्रित आदि पर  होने देना )
 नवमं  स्वच्छंद आचरण 
दशमं पक्षपात का बीज अंकुरण 
इन पे गौर फरमायें, बच्चों को समझाएं, 
अंकुश इन पे लगाएं
उनका भविष्य उज्जवल बनाएं 
 पुनः आप सभी मित्रों को विजया दशमी की शुभकामनाओं सहित 
जय जोहार.....